गांवों में नहीं ब्लाक में बाबूगिरी कर रहे सफाई कर्मी।

सफाई कर्मचारी अपने मूल दायित्वों से अलग हटकर अधिकारियों की खिदमत में जुटे।



 प्रधानमंत्री भले ही साफ सफाई को लेकर स्वच्छ भारत अभियान चला रहे हों, लेकिन अधिकारी अपनी सहूलियत के लिए इस अभियान को पलीता लगा रहे हैं। विकास खण्ड चायल के गांवों में तैनात हजारों रुपए वेतन पाने वाले सफाई      कर्मचारी अपने मूल दायित्वों से अलग हटकर अधिकारियों की खिदमत में जुटे हुए हैं। ब्लॉक कार्यालय के अलावा अधिकारियों के पास भी सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को लेकर मुहिम चलाई जा रही है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भारी भरकम बजट भी खर्च किया गया है। लेकिन, मूल रूप से सफाई का कार्य करने वाले ही अधिकारियों की सेवा में लगे हैं। यह विडंबना ही है कि सफाई कर्मी तो हर गांव में तैनात हैं।इसके बाद भी ग्रामीण कई महीने तक सफाई कर्मी को गांव में नहीं देख पाते हैं। ऐसा भी नहीं है कि सफाई कर्मचारियों की ब्लाक में संख्या कम है। लेकिन, बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारियों को निजी और विभागीय कार्यों के लिए कार्यालयों में तैनात किया हुआ है। कुछ सफाई कर्मचारी तो बाबुओं का काम देख रहे हैं वहीं कुछ अधिकारियों के पास अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विकास खण्ड चायल के रतगहां गांव में तैनात सफाई कर्मी राम मिलन को कई सालों से ग्रामीणों ने देखा तक नहीं है।सिराथू जैसे कई ब्लाकों में इसी तरह सफाई कर्मी कार्य कर रहे हैं।जिनकी कई बार शिकायत करने के बाद भी अधिकारियों ने सफाई कर्मी पर कार्रवाई नहीं की। सफाई कर्मी ब्लाक में बैठकर बाबूगिरी कर रहा है। जबकि गांव में कूडों का अंबार लगा हुआ है। नालियां चोक हैं। सड़कों पर पानी बह रहा है।

रिपोर्ट zee प्रभात न्यूज़।

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