गज़ब-न लाइसेंस न बोली, सुट्टा मार बेंचे भांग की गोली।

 विभागीय आशीर्वाद व नेताओं की वरदहस्त माफियाओं की बल्ले-बल्ले।

zee प्रभात न्यूज़ चैनल सम्पादक राजेश पाण्डेय की रिपोर्ट।

उत्तर प्रदेश जनपद कौशाम्बी के आबकारी विभाग का भी जिले में अजब-गज़ब कारनामा है। महज दिखावे के लिये अख़बार की सुर्खियों में बने रहना, लेकिन असली काम तो बैकडोर से होता है। भांग की दुकानों में गांजे ने कब अपना आशियाना बना लिया पता ही नही चला। जिलेभर की दुकानों में भांग की गोली का कारोबार हो या न हो लेकिन सुट्टे का कारोबार बढ़चढ़कर है। इतना ही नही अब तो न लाइसेंस न बोली बल्कि दुकान खोल नशे के कारोबार में चार चांद लगा रहें हैं।

मालूम हो लाइसेंसी दुकानों की अपेक्षा पूरे जनपद में अवैध दुकानों ने अपने पांव जमाते जा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि इन अवैध दुकानों के कारोबार की भनक आबकारी विभाग व पुलिस को न हो लेकिन जब सुट्टे के कारोबार की बात हो तो महज कुछ खानापूर्ति कर बाजार को धुंआ धुंआ करने को माफियाओं की दुकान खुल जाती है। 

मालूम हो भांग हो या कुछ और सभी दुकानों का आवंटन मार्च महीने में होता है लेकिन ये तो सरकारी मशीनरी की बात है। लेकिन यदि उसी मशीनरी में यदि छेद हो जाय तो अक्टूबर में भी बिना लाइसेंस के दुकानों का आवंटन हो जाता है। आपको ऐसी दुकानें सिराथू, देबीगंज, दारानगर, कड़ा जैसी जगहों में या जिले भर में ऐसी दर्जनों दुकानें मिल जाएंगी जो  विभागीय आशीर्वाद व नेताओं के वरदहस्त चल रही हैं।


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