कौशांबी में ऐसी शख्सियत की है जरूरत जो जनता की समस्या समझे और करें निराकरण।

65 वर्ष पूर्व कौशांबी छोड़कर जबलपुर में आशियाना बना लेने से इतिहास भूगोल से नहीं है परिचित कैसे करेंगे जनता की रहनुमाई।


उत्तर प्रदेश जनपद कौशाम्बी विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और चारों ओर विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार प्रसार जोर से शुरू है नामांकन भी पूरा हो चुका है नाम वापसी का भी समय खत्म हो गया है कौशांबी जिले के सिराथू विधानसभा सीट से उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी हैं समाजवादी पार्टी ने अपना दल कमेरावादी से पल्लवी पटेल को प्रत्याशी बनाया है बहुजन समाज पार्टी से मुंसिफ अली चुनाव मैदान में हैं कांग्रेस पार्टी ने सीमा देवी को प्रत्याशी घोषित किया है डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के सिराथू विधानसभा से नामांकन किए जाने के बाद यहां की राजनीति में भूचाल आ गया है और समाजवादी पार्टी ने बड़े नेताओं के नाम में शुमार पल्लवी पटेल को टिकट देकर डिप्टी सीएम के सामने चुनाव मैदान में उतारा है केशव मौर्या तो सिराथू क्षेत्र के निवासी हैं और जन-जन के बीच में उनकी पकड़ है आम जनता के बीच मजबूत पकड़ के चलते उनका कहना है कि वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं बल्कि इस क्षेत्र के मतदाता चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन समाजवादी अपना दल कमेरावादी गठबंधन से प्रत्याशी बनाई गई पल्लवी पटेल का कहना है कि कौशांबी उनकी ससुराल है नामांकन के पूर्व उन्हें अपनी ससुराल की याद नहीं आई है 65 वर्ष पूर्व से निर्वासित होकर उनके पूर्वजों ने दूसरे प्रांत में आशियाना बना लिया था उन्हें कौशांबी के इतिहास भूगोल का भी ज्ञान नहीं है लेकिन पल्लवी पटेल ने दावेदारी कर दी है जनता के बीच वह किस हैसियत से इस जिले की बहू होने का दावा कर रही है किस हैसियत से वह कौशांबी की बहु होने का दावा कर रहनुमाई कर सकती हैं बताते चलें कि जिले के मंझनपुर तहसील क्षेत्र के कोरीपुर गांव के राम प्रताप सिंह पुलिस विभाग में उप निरीक्षक थे और राम प्रताप सिंह 65 वर्ष पूर्व कौशांबी छोड़कर जबलपुर में आशियाना बना लिए थे राम प्रताप सिंह के निरंजन पटेल उर्फ भोलू सिंह और अमरनाथ सिंह पटेल उर्फ लूलू सिंह दो बेटे हैं उपनिरीक्षक राम प्रताप सिंह के पोते पंकज निरंजन पटेल जबलपुर में रहते हैं और पंकज निरंजन पटेल के की पत्नी पल्लवी पटेल हैं बताया जाता है कि पंकज निरंजन पटेल जबलपुर में कांग्रेस के नेता भी रह चुके हैं तीन पीढ़ी पहले जिस परिवार ने कौशांबी से रिश्ता तोड़ दिया था विधानसभा चुनाव लड़ने की गरज से वह परिवार अब कौशांबी में रिश्ता जोड़ रहनुमाई की बात कर रहा है आज कौशांबी में ऐसी शख्सियत की जरूरत है जो जनता के दुख दर्द समस्या को समझें और उसका निराकरण करें मतदाताओं से रिश्ता जोड़े उनके दुख दर्द को समझते हुए उसके निस्तारण का प्रयास करें सच्चे रहनुमाईयों की कमी होती जा रही है जिसका नतीजा यह है कि जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच दूरी बनती जा रही है और 65 वर्ष पूर्व कौशांबी से निर्वासित होकर दूसरे प्रान्त में बसने वाले उपनिरीक्षक राम प्रताप सिंह के पोते की पत्नी पल्लवी पटेल के सामने भी हालात से जूझने की स्थिति बन सकती है विधानसभा चुनाव में बाहरी व्यक्ति को टिकट देकर आखिर समाजवादी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव क्या साबित करना चाहते हैं अखिलेश यादव की इतनी समझदारी कि उन्हें कौशांबी के सिराथू विधानसभा में कोई प्रत्याशी नहीं मिला ऐसा नहीं कि कौशांबी में समाजवादी पार्टी में पटेल बिरादरी के नेता नहीं थे समाजवादी में पटेल बिरादरी के नेता थे और अखिलेश यादव को मिल भी रहे थे लेकिन जिले के नेताओं की उपेक्षा कर उन्होंने बाहरी को कौशांबी की धरती पर थोप दिया है जिन्हें जनता पसंद नहीं कर रही है इतना ही नहीं कौशांबी के नेताओं की उपेक्षा किए जाने से पल्लवी पटेल के सामने चुनौतियां तमाम हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि बाहरी व्यक्ति को कौशांबी के मतदाताओं से कितना समर्थन मिल पाता है।

संपादक,राजेश पाण्डेय की रिपोर्ट।


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