सूचना मिलने के बाद भी हरे फलदार पेड़ काटने से माफियाओं को आखिर क्यों नही रोक सके अफसर?

आखिर क्यों लकड़ी माफियाओं के आगे जिले की पुलिस और वन विभाग ने टेके घुटने?

सरकार पर्यावरण बचाने के लिए करोड़ों का बजट खर्च कर रही है लेकिन लकड़ी माफिया हरे फलदार पेड़ों को काटकर पर्यावरण को समाप्त कर रहे हैं प्रति दिन हरे पेड़ काटते हुए देखे जाते हैं लकड़ी माफिया दो दिन पहले कोखराज थाना क्षेत्र के हरर्राय पुर पुलिस चौकी अंतर्गत मोहनपुर गांव के पास हरे फलदार महुआ के विशाल पेड़ को लकड़ी माफिया काट रहे थे मामले की सूचना डायल 100 पुलिस के साथ-साथ वन विभाग को ग्रामीणों ने दी  मौके पर डायल 100 की पुलिस पहुंची और उसने हरे पेड़ को काटने से लकड़ी माफिया को चेतावनी देकर पेड़ काटने से मना कर दिया हंड्रेड डायल पुलिस के वापस आने के बाद 24 घंटे तक पेड़ पर लकड़ी माफिया और उनके मजदूर नहीं पहुंचे लेकिन दूसरे दिन फिर दर्जनों मजदूरों को लेकर पेट्रोल आरा मशीन के साथ लकड़ी माफिया मौके पर पहुंचे और आधे कटे पेड़ को पूरा काट कर पूरी लकड़ी उठा ले गए हैं चर्चाओं पर जाएं तो ताराचंद नामक लकड़ी माफिया महुवा के हरे फलदार पेड़ को काट कर उठा ले गया है इस बात की पुष्टि क्षेत्र के लोगों ने की है।

अब सवाल उठता है कि लकड़ी माफिया इतने पहुँच वाले हो गए हैं कि थाना पुलिस से लेकर वन विभाग के अधिकारी लकड़ी माफियाओं के हरे फलदार पेड़ों के अवैध कटान पर रोक नहीं लगा पा रही है जिससे इन अधिकारियों की मंशा पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं चर्चाओं पर जाएं तो जिले में प्रतिदिन वनविभाग और थाना चौकी पुलिस की सांठगांठ से तीन दर्जन माफिया सैकड़ों पेड़ काटकर लकड़ी बेचने में लगे हैं और हरे पेड़ों को संरक्षण करने वाले अधिकारी बेबस दिखाई पड़ रहे हैं जिले में बड़ी तेजी से हरे पेड़ों की संख्या घट रही है जो चिंता का विषय है।

संपादक,राजेश पाण्डेय


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