भीख माँगते मासूम बच्चे,बाल अधिकार संरक्षण कर रहा छलावा।

दो जून की रोटी के लिए छोटे- छोटे मासूम बच्चे सड़को पर भीख मांग कर परिवार का कर रहे हैं गुजारा।


 पढ़ने लिखने की उम्र में दर्जनों की झुंड में भीख मांगते हुए मासूम बच्चे सार्वजनिक स्थानों पर देखे जाते हैं,अधिकारी बाल अधिकार संरक्षण की बड़ी- बड़ी बात कर रहे हैं लेकीन इसकी हकीकत कुछ और ही है।भीड़ - भाड़ वाली जगहों पर यदि घूमकर देख लिया जाए तो बाल संरक्षण अधिकार की बात करने वालों की पोल खुल जाएगी।

सुबह होते ही दो जून की रोटी के लिए छोटे - छोटे मासूम बच्चे सड़को पर भीख मांग कर परिवार का गुजारा कर रहे हैं। तमाम चौराहों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर छोटे - छोटे मासूम बच्चे भीख मांगते हुए दिखाई देते हैं। आखिर बाल अधिकार संरक्षण की बात करने वाले लोग कहां गहरी निद्रा में सोए हुए हैं और उन्हें भीख मांगते हुए बच्चे नहीं दिखाई देते।

जनपद कौशाम्बी के भरवारी,करारी,मंझनपुर चौराहे के पास सुबह होते ही भीख मांग रहे बच्चो को यदि कोई व्यक्ति खाने - पीने की चीज देता है तो वे नहीं लेते सिर्फ पैसा लेते हैं आखिर इसके पीछे की वजह क्या है जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि इनके माता-पिता घर में दारु पीकर नशे में धुत होकर पड़े रहते हैं और बच्चों को भीख मांगने के लिए विवश करते हैं। कई दफा स्थानीय लोगों ने भीख मांगने वाले मासूम बच्चों से नाम पता पूछने की कोशिश की तो नाम पता ना बताने के लिए वहां से भाग निकलते हैं।जनपद कौशाम्बी के बिभिन्न जगहों से स्थानीय लोगों ने पढ़ने - लिखने की उम्र में भीख मांगने वाले बच्चों को चिन्हित कर उनके माता-पिता के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग जिम्मेदार अधिकारियों से कर रहे हैं जिससे कि भविष्य में ऐसा नजारा देखने को ना मिले।

संपादक, राजेश पाण्डेय, zee प्रभात न्यूज़।

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