स्वत्रंता सेनानी जर्मन मास्टर ने अपने भाषणों से फिरंगियों की उड़ाई थी नींद।

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनका नाम रखा था जर्मन मास्टर।

जब पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा हो तो ऐसे में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी मंगला प्रसाद तिवारी उर्फ जर्मन मास्टर की स्मृतियां जेहन में तरोताजा हो जाना स्वाभाविक है।जर्मन मास्टर ने अपनी ओजस्वी भाषणों से फिरंगियों की नींद हराम कर रखी थी,कई बार फिरंगियों ने उन्हें जेल में बंद भी किया इसके बाद भी देश भक्ति का उनका जोश और जुनून कभी कम नहीं हुआ जब देश को आजादी मिली तब उन्होंने सुकून की सांस ली हैरानी की बात तो यह है कि आज इस बीर स्वतंत्रता सेनानी के बलिदान को शासन,प्रशासन भूल चुका है आखिर क्यों?

स्वतंत्रता सेनानी मंगला प्रसाद तिवारी उर्फ जर्मन मास्टर का जन्म 7 अक्टूबर 1916 में जनपद कौशाम्बी के ग्राम हिसामबाद गढ़वा में हुआ था।इनके पिता सूरज पाल तिवारी और माता महारानी तिवारी थी इनका ननिहाल मूरतगंज ब्लाक क्षेत्र ग्राम नादिरगंज काशिया था मंगला प्रसाद तिवारी ने 1942 में बीकॉम की पढ़ाई कोलकाता से की थी पढ़ाई पूरी होने के बाद मंगला प्रसाद तिवारी आजादी की लड़ाई में शुभाष चंद्र बोस, महात्मागांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू के दिशानिर्देशों पर चलते हुए आजादी की लड़ाई लड़ने लगे जिस कारण अंग्रेजी हुकूमत ने इन्हें पहली बार 1942 मे रात के समय बैठक में जाते वक्त गिरफ्तार कर 10 माह की सजा सुनाते हुए जेल भेजा था। जर्मन मास्टर ने अपने ओजस्वी भाषण से अंग्रेजी हुकूमत की नींद हराम कर रखी थी इसी कारण उन्हें दोबारा 1943 में अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर दो माह के लिए जेल भेजा था।देश को जब तक आजादी नही मिली तब तक इस वीर स्वतंत्रता सेनानी योद्धा का संघर्ष जारी रहा।

1950 में नेशनल इण्टर मीडिएट कॉलेज की हुई स्थापना।

देश की आजादी के बाद स्वतंत्रता सेनानी मंगला प्रसाद तिवारी उर्फ जर्मन मास्टर ने सामाजिक कार्य और समाजसेवा करने लगे। 1950 में उन्होंने भरवारी में नेशनल इण्टर मीडिएट कॉलेज की स्थापना कर शिक्षा पर जोर दिया 1967 में उन्होंने सिराथू विधानसभा क्षेत्र से विधायकी का चुनाव भी लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज कर जर्मन मास्टर विधायक बने।

देश भक्ति का जुनून और समाजसेवा करते करते यह वीर स्वतन्त्रता सेनानी योद्धा 21 अप्रैल 2004 को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

कैसे पड़ा जर्मन मास्टर नाम।

मंगला प्रसाद तिवारी ने 1954 में जनपद कौशाम्बी के भरवारी में सभा करवाया जिसमे मुख्य अतिथि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे पंडित जवाहर लाल नेहरू मंगला प्रसाद तिवारी की वाक्पटुता और जर्मन भाषा के ज्ञान से बहोत प्रभावित हो कर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने मंगला प्रसाद तिवारी को जर्मन मास्टर नाम की उपाधि देते हुए संबोधन किया।

आखिर मंगला प्रसाद तिवारी उर्फ जर्मन मास्टर क्यों नही बन सके मंत्री।

सिराथू विधानसभा से विधायक बनने के बाद मंगला प्रसाद तिवारी को मंत्री बनाया जाना था दरअसल हुआ यह कि कोरांव विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बामपुर के बाबू मंगला प्रसाद श्रीवास्तव भी विधायक थे मंगला प्रसाद तिवारी को सहकारिता मंत्री पद की शपथ लेने के लिए मंच पर बुलाया गया तभी गलती से उनकी जगह बाबू मंगला प्रसाद श्रीवास्तव मंच पर चढ़ गए गलतफहमी में मंगला प्रसाद तिवारी की जगह बाबू मंगला प्रसाद श्रीवास्तव को मंत्री पद की सपथ दिला दी गई।हालाकि मंगला प्रसाद तिवारी द्वारा इसका तनिक भी विरोध न करते हुए बाबू मंगला प्रसाद श्रीवास्तव को मंत्री बनाने का प्रस्ताव भी रख दिया।

रिपोर्ट,राजेश पाण्डेय,zee प्रभात न्यूज़।


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