नगर निकाय चुनाव 2022

नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर कवायद तेज।


उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर कवायद तेज हो गई है। शहरी निकायों में वार्डवार आरक्षण का काम अगले सप्ताह से शुरू होने के आसार हैं। नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों के आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर प्रत्याशियों में खलबली है।

पिछली बार सामान्य, एससी-एसटी या महिला सीट मानकर चुनाव लड़े प्रत्याशियों में इस बार आरक्षण में सीट बदलने की आशंका है। वार्डवार आरक्षण को लेकर भी संकेत हैं कि बदलाव होगा।

कब होंगें नगर निकाय चुनाव 

नगर विकास विभाग अब किसी और शहरी निकाय के विस्तार या गठन का प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ाएगा। निकायों के लगातार विस्तार से परिसीमन और आरक्षण की प्रक्रिया लंबी खिंच रही है, जिसका सीधा असर निकाय चुनाव की तैयारियों पर पड़ रहा है। इसलिए अब और नए प्रस्ताव नहीं आएंगे।

उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव का समय नजदीक आ गया है। मतदाता पुनरीक्षण का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। राज्य चुनाव आयोग ने मतदाता पुनरीक्षण को लेकर एक अधिसूचना जारी की है। जिसमें बताया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण 31 अक्टूबर से शुरू किया जाएगा। उसके बाद वोटर लिस्ट अंतिम प्रकाशन 18 नवंबर को होगा।

संभावना जताई जा रही है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद निकाय चुनाव की तारीख का ऐलान भी हो सकता है। माना जा रहा है कि आयोग नवंबर के दूसरे सप्ताह तक चुनाव के संबंध में अधिसूचना जारी कर सकता है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है।

इसी साल आखिर में होने वाले शहरी क्षेत्र के निकाय चुनाव को 2024 का सेमीफाइल भी माना जा रहा है, क्योंकि इसके बाद सीधे लोकसभा का चुनाव होना है। ऐसे में सत्ताधारी बीजेपी से लेकर विपक्षी दल सपा, बसपा और कांग्रेस ने भी अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है। शहरी क्षेत्र के नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत के चेयरमैन और वार्ड पार्षद का चुनाव होना है। ऐसे में निकाय चुनाव के लिए 15 नवंबर के बाद किसी भी दिन अधिसूचना जारी हो सकती है, लेकिन इसके लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है। सरकार को तय करना है कि नोटिफिकेशन कब जारी किया जाएगा।

सीटों के आरक्षण की होनी घोषणा

नगर निकाय सीटों के विस्तार के बाद नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत के चेयरमैन और वार्डों के आरक्षण का कार्य किया जाना है। आरक्षण का प्रावधान राज्य सरकार करती है, जिसमें ओबीसी, एससी, एसटी और सामान्य सीटों का आरक्षण होना है। इसके अलावा महिलाओं के लिए भी सीटें आरक्षित की जानी है। निकाय सीटों के आरक्षण का काम सरकार को करना है, जिसके लिए जनसंख्या को आधार बनाया जाता है। ऐसे में पहले एसटी समुदाय की जनसंख्या का फिगर आउट किया जाता है और फिर उस क्षेत्र में कितनी सीटें आती है, उसका मूल्याकंन किया जाता है और फिर आरोही क्रम में रखते है और तब जाकर आरक्षण तय होता है।

रिपोर्ट, राजेश पाण्डेय,9653024991

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