बार-बार भ्रस्टाचार बार बार धंधलीगर्दी बार बार एक ही जगह पर तैनाती आखिर अधिकारियों की क्या है मनसा?

सरकारी रकम में धांधली के चलते मुकदमा दर्ज कराकर पंचायत सचिव की हो चुकी गिरफ्तारी फिर भी डीपीआरओ हैं मेहरबान।



पंचायत विभाग की धंधलीगर्दी के चलते 70 प्रतिशत से अधिक की रकम कमीशन खोरी और हिस्से बटवारे की भेंट चढ़ रही है।

 योगी सरकार में अंधेरगर्दी भ्रष्टाचार लूट खसोट की स्थितियां यह हो गई है कि जो अधिकारी कर्मचारी जितना बड़ा भ्रष्ट बेईमान है विभागीय अधिकारियों की नजर में उस बेईमान भ्रष्ट की इज्जत उतनी ज्यादा बढ़ती जाती है भ्रष्ट बेईमान कर्मचारी और पंचायत सचिव के विभागीय अधिकारी उसे उतना ज्यादा संरक्षण देने का प्रयास कर रहे हैं जिससे जिले की ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार चरम पर व्याप्त होता जा रहा है इन दिनों कौशांबी जिले के पंचायत विभाग में इस कदर भ्रष्टाचार है कि बीते 50 वर्षों में कौशांबी जनपद में कभी इतना भ्रष्टाचार नहीं था ग्राम पंचायतों के विकास के लिए मिलने वाली रकम का 30 प्रतिशत हिस्सा भी ग्राम पंचायतों में कराए जा रहे कार्यो में नहीं खर्च होता दिख रहा है पंचायत विभाग के भ्रष्टाचार के चलते 70 प्रतिशत से अधिक की रकम कमीशन खोरी और हिस्से बटवारे की भेंट चढ़ रही है भ्रष्टाचार में लिप्त पंचायत सचिव को पंचायत विभाग के अधिकारी खुलेआम संरक्षण देने पर उतारू हो गए हैं जबकि निष्पक्ष जांच हो जाए तो करोड़ो रूपये घोटाले के आरोपी सतीश चौधरी साबित होंगे लेकिन अधिकारियों के संरक्षण देने के चलते योगी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।

गौरतलब है कि पंचायत सचिव सतीश चौधरी पर लगातार सरकारी कार्यों में भ्रष्टाचार धांधली कर सरकारी रकम डकारने का आरोप लग रहा है तमाम मामलों की शिकायत करते करते तो ग्रामीण थक हार कर बैठ जाते हैं और जांच इनकी नहीं हो पाती है लेकिन कुछ मामलों में जांच होने के बाद पंचायत सचिव सतीश चौधरी दोषी करार दिए गए कुछ मामले में मुकदमा भी दर्ज हुआ और पंचायत सचिव सतीश चौधरी की गिरफ्तारी भी हुई इन्हें जेल की हवा भी खानी पडी लेकिन उसके बाद पंचायत सचिव सतीश चौधरी को फिर भ्रष्टाचार करने की छूट देने के लिए ग्राम पंचायतों में तैनात कर दिया गया जबकि भ्रष्टाचार का आरोप पुष्ट होने के बाद उन्हें बर्खास्त किए जाने की कार्यवाही शुरु होनी चाहिए इनसे सरकारी रकम की रिकवरी कराए जाने की कार्यवाही शुरु होनी चाहिए लेकिन बर्खास्त कर सरकारी रकम की रिकवरी कराए जाने के बजाय अधिकारियों ने पंचायत सचिव सतीश चौधरी को संरक्षण देकर उनके गुनाह को माफ करने की योजनाएं बनाना शुरू कर दिया सिराथू विकास खंड क्षेत्र के कशिया पश्चिम ग्राम पंचायत सहित कई गांव में पंचायत सचिव सतीश चौधरी तैनात रह चुके हैं बार-बार धांधली भ्रष्टाचार के चलते ग्रामीणों की शिकायत पर उन्हें हटाकर भ्रष्टाचार की जांच कर कार्यवाही करने के बजाय मामले को ठंडे बस्ते में दबा दिया जाता है जिससे इनके प्रत्येक धांधली की जांच नहीं हो पाती है लेकिन कुछ दिन बाद फिर उसी क्षेत्र में पंचायत सचिव सतीश चौधरी की तैनाती कर दी जाती है और यह फिर अपनी आदत के अनुसार ग्राम पंचायतों के विकास के लिए मिलने वाली सरकारी रकम को लूटने में लग जाते हैं पंचायत विभाग के अधिकारी तमाशबीन बने रहते हैं पंचायत सचिव सतीश चौधरी काशिय पश्चिम और उसके आसपास के गांव में चार बार तैनात किए जा चुके हैं और प्रत्येक बार इन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगने पर इन्हें कुछ दिनों के लिए हटाकर ग्रामीणों को ठंडा करने के प्रयास किया जाता है फिर उसी क्षेत्र में लूटने के लिए दोबारा तैनाती दे दिया जाता है आखिर भ्रष्टाचार में लिप्त पंचायत सचिव सतीश चौधरी के अंदर कौन सी योग्यता है कि विकास भवन के अधिकारी पंचायत सचिव सतीश चौधरी पर मेहरबानी बनाए हुए हैं आखिर सतीश चौधरी से विकास भवन के अधिकारियों के क्या गहरे रिश्ते हैं यह बड़ी जांच का विषय है बार-बार भ्रष्टाचार का आरोप की पुष्टि होना और बार-बार पंचायत सचिव सतीश चौधरी को बहाल कर देने के मामले की यदि योगी सरकार ने जांच कराई तो जिला पंचायत राज अधिकारी का निलंबन तय है लेकिन क्या योगी सरकार में निष्पक्ष जांच हो पाएगी यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।

ब्यूरो रिपोर्ट, zee प्रभात न्यूज़ 9653024991

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